Saturday, October 23, 2021

अक्सर मुझे देख कर !

अक्सर मुझे देख कर,
तुम्हारी ही बातें करते हैं लोग,
हां सच! मैं कुछ भी नहीं पूछता,
फिर भी !
सब कुछ बताते हैं, 
तुम्हारे बारे में लोग।

न जाने क्यों यह भी पूछते हैं कि, 
मैं तुमसे कहीं नाराज तो नहीं?
फिर भी मैं कुछ नहीं कहता !
हां चुप रहता हूं !!
तब बड़ी हमदर्दी से, 
लोग मुझसे कहते हैं,
संभालो खुद को, 
अक्सर दिल में ही तो,
बिजलियां गिरा करती हैं दोस्त!!

फिर भी मैं कुछ नहीं कहता, 
चुप रहता हू, और तब ?
और भी बारीकी से बताते हैं लोग।
कैसे कुछ ने तुम्हें उदास देखा था,
कैसे कुछ ने तुम्हें हंसता भी देखा था।
किसी की याद में गुमसुम,
अपने घर के सामने ही,
कल बैठा हुआ भी देखा था।
चलती राह के मुसाफिरों को रोक,
मेरे बारे में पूछते हुए भी देखा था।

नादान हैं,
न जाने कौन सी कहानियां बनाते हैं लोग?
हां, मैं जानता हूं, मुझे पता है !
बस यह कहानियां ही तो है,
जो अक्सर मुझे सुनाते हैं लोग ।।

और भी ना जाने, 
क्या-क्या बताते हैं लोग।
जैसे वे गवाह हो, 
तुम्हारी तन्हाइयों के,
जैसे वे गवाह हों, 
तुम्हारी रुसवाईयों के,
जैसे वे गवाह हों, 
मेरी बेबाफाइओ के,
कुछ रास्ते भी सुझाते हैं, 
तुमसे मिलने के।
समझाते हैं किस तरीके से वे,
अब सब कुछ ठीक कर देंगे?
तब उन्हें टाल मैं आगे बढ़ जाता हूं।
एक गली से निकल, दूसरी, 
दूसरी से तीसरी ...

और फिर न जाने कितनी ही,
गलियों से गुजरता हूं।
एक अजीब सी तन्हाई की तलाश में। 
जहां बैठकर मैं कुछ देर,
खुद को रोने से रोक सकूं।
खुद को समझा सकूं,
हां, तुमने तो कभी मुझे,
प्यार किया ही न था !!
Shailendra S. SATNA (MP)

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