अपना ही शहर छोड़ गया मेरे आने से।
बमुश्किल खोज पाया था मैं उसे,
फिर क्यों रूठा है ?
लौट कर न आने से।
शायद तुमसे ही कुछ कह गया हो मेरे बारे में
अब तुम भी बताना उसे,
क्या गुजरी है उसके जाने से।
ना जाने क्या पा लिया,
उसने किसी खजाने से ?
क्या कम थे ये मोती,
जो गिरे मेरी आंखों से?
ना जाने क्या पा लिया,
उसने चुप रह जाने से?
बमुश्किल छोड़ा होगा उसने भी,
किसी के समझाने से।
बताओ कुछ तो कह गया होगा वह तुमसे?
अब तुम्ही बताना उसे,
क्या गुजरी है उसके जाने से।।
Shailendra S.
इससे बड़ा दर्द क्या होगा ? वाह बहुत खूब
ReplyDeleteAgar mujhe sahitya ka jara sa v gyan hota to mai avashya hi bata pata, kya paya hoga....
ReplyDeleteBeshaq ek umda bhavpurn kriti 👏🏻👏🏻👏🏻🙏🏻🙏🏻