मेरे पास एक तस्वीर है
जो इस जहां में है सबसे जुदा।
कनखियों से छुप कर मुझे देखती आंखे,
कानों में लटकती छोटी-छोटी बालियां,
वजूद की सारी गर्मी समेटे हुए ये होठ,
जो किसी के आने की आहट पा, चुप हो गए हैं।
सलीके से सांवरे गए बाल,
किसी के छू लेने की लिए आस,
नर्म, मुलायम ये सिंदूरी गाल।
जिंदगी के अधूरे कैनवास पर,
जिंदगी से उल्लासित एक चेहरा।
वीरान तपते पत्थरों के बीच,
मेरे वजूद का एहसास दिलाता एक चेहरा।
बरसते बादल, कड़कती बिजली,
के बीच दमकता एक चेहरा।
मेरी बेजान उदास रातों में,
मेरे साथ हंसता मुस्कुराता एक चेहरा।
उसे छू लेने की, अधूरी लिये एक आस,
हां, तुम्हारी यही एक, तस्वीर है मेरे पास ।।
- Shailendra S. , Satna
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