Tuesday, May 11, 2021

आह !

आज लगता है फिर उसने,

 दिल में दी दस्तक।

आज की रात फिर वही,

तूफान- सा  आने वाला है।

बड़ी ही खामोश तनहाइयों में,

उसने किया फिर याद मुझे,

गूंज उसी की आज,

ये बादल सुनाने वाला है।

बड़ी ही कशमकश  से टकराई है,

फिर से यह जिंदगी उसकी,

जिसकी चमक फिर ये फलक,

मुझे आज दिखाने वाला है।

छुपा के रखे है जो दरिया उसने,

अपनी काली गहरी आंखों में,

उसी दरिया में फिर से वह,

मुझे आज डूबोने वाला है ।

कह दो इस जहां से कि,

अब न रोके उसे।

कि अपनी आह से फिर वह,

मुझे आज रुलाने वाला है ।

ले आ अब ए हवा, बादल बिजली

उसके पैगाम मुझ तक।

ना पहुंचे तो ?

फिर वह,  ये जहां जलाने वाला है।।

            Shailendra S.


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