तो फिर हम जगा करते हैं।
जब कुछ लिखने का मन न हो,
फिर छत को देखा करते है।
जब बढ़ जाती मन की बेचैनी,
अध लिखे पन्नों को फाड़ा करते है।
🌹
जब खुद का गुजारा न हो खुद से,
उनको फिर से याद किया करते हैं।
शायद देख लिया होगा मेरा स्टेटस,
फिर इसका पता लगाया करते हैं।
जब कुछ हाल नहीं मिलता उनका,
फोन लगाने की भी सोचा करते हैं।
जब हद से गुजरने लगती है यादें उनकी,
उनको भुला देने की भी सोचा करते हैं।
🌹
भूले न वे जब लाख जतन करने पर भी,
झुट्टू-मुट्ठ फिर उन्हे फोन लगाया करते है।
हेलो - हेलो, कई बार बोलने पर उनके,
तब हम धीरे से हेलो बोला करते है।
न जाने वे क्या सोचेगी क्या समझेगी !
यह सोच, हम झट से , " आप कैसी है ",
बस इतना ही तो पूछा करते है।
💖💖💖
Shailendra S. SATNA ✍️
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