ईश्वर (हेड प्रोग्रामर )
बस यही बात हमेशा घ्यान रखनी हैं , हम अपने विचार किसके सामने रखने जा रहे हैं ? उसकी मूल प्रकृति क्या है ? वह हमें किस भाव से सुन रहा है ?
अर्जुन के लिए श्रीकृष्ण दिव्य आत्मा हैं , भगवान है, क्रिएटर और टर्मिनेटर दोनों हैं। एक सामान्य-सा ज्ञान रखने वाले या अनपढ़ से आप कहे - ' ऊर्जा अमर है, उसका विनास नहीं होता है ', तो वह आपसे जरूर पूछेगा 'यह ऊर्जा क्या होती है ?' , चलो न भी पूछे तो अपकी तरफ इस भाव से देखेगा जरूर। '
अब आप उससे ये कहे - ' आत्मा अमर है '
वह तुरंत मान लेगा की 'सही है , भगवान ने भी तो यही कहा है' .
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कम से कम समय में जो गीता ज्ञान दिया उसका एक ही कारण था, उनका यह कहना - ' सभी शंकाओ को त्याग तुम मेरी शरण में आओ, मुझे भक्ति भाव से सुनो क्युकि मैं ही भगवान हूँ , मैं ही इस सृष्टि का नियंता हूँ (यानि मैं ही इसका प्रोग्रामर हूँ ) , इसके सभी नियम मैंने ही तय किये हैं। यहाँ तक की कौन कैसे जन्म लेगा , कौन कैसे मरेगा , सभी कुछ मैंने तय कर रखे हैं। तुम सिर्फ कर्म कर सकते हो (यानि सारे सोर्स कोड की प्रोग्रामिंग मैंने कर रखी है, चुकि एक अडवांस्ड आर्टिफिसियल ब्रेन दिया है तो अब तुम्हे ही सोचना है कि तुम्हे करना क्या है, कर्म को मुक्त रखा है , कर्म करने का अधिकार है , कर्म के आधार पर फल / रिजल्ट मैंने प्रोग्रामिंग में पहले से ही नियत कर दिया है , सभी कंडीशन दे रखी है ) , तुम इस भ्रम में न रहो, ऐसी न जाने कितने सूर्य हैं , ु जाने कितनी पृथ्वी हैं , न जाने कितने ब्रम्भाण्ड हैं। जिसका नियंता मैं हूँ। सभी सृष्टि मुझसे ही जन्म लेती हैं, और अंत में विलीन होती हैं ( यानि मैं और एकमात्र मैं ही सोर्स हेड प्रोग्रामर हूँ ) . अर्थात अब तुम लड़ो। जीत-हार के विषय में न सोचो।
अब यही ज्ञान मॉर्डन फिजिक्स , कमेस्ट्री , मैथ्स दे रही हैं।
यानि ईश्वर (हेड प्रोग्रामर ) तो हैं।
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