Tuesday, May 18, 2021

जो तुम रुठ जाओ तो ?

जो तुम रुठ जाओ तो फिर,

कुछ भी अच्छा नहीं लगता।

दूर चली जाओ तो फिर,

किसी की नज़दीकियां नहीं भाती,

महफिल हैं तमाम, पर कहीं मन नहीं लगता।

किसी की नज़दीकियां दिल को नहीं लुभाती,

जब तक तेरा कोई जख्म, दिल को नहीं लगता।

महफिल हैं तमाम, पर मन नहीं लगता।

जो उभर कर एक चेहरा आता है मेरे सामने,

उस चेहरे के सामने फिर, कुछ भी अच्छा नहीं लगता।

दूर जाकर फिर मेरी खबर न लेना,

फिर तेरा कभी यूं पलट कर ना देखना,

मेरी तन्हाइयों में तेरा बार बार यूं आना,

हर रात छीन लेना मुझसे मेरे चांद सितारे

वीरान आसमा में, स्याह काली रातों में,

हर रात तेरी उजली तस्वीर बनाना,

सच कहता हू, बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।

Shailendra S. 'Satna'


No comments:

Post a Comment

अजनबी - 2

अजनबी (पार्ट 2)       पांच साल बाद मेरी सत्य से ये दूसरी मुलाकात थी। पहले भी मैंने पीहू को उसके साथ देखा था और आज भी देख रहा हूं...