कौन बदल के रख देगा ?
सभी भेड़ की चाल चलें।
यशोंगान तब करते थे,
स्वयं का यश अब गाते हैं।
हां, मैं चलती राहों का लेखक,
माइल्स्टोन पर लिखता हूं।
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आसीन मंच पर बहुत हुए,
माया के आधीन हुए तुम।
तुम्हें चुनौती देता हूं।
हां, मैं चलती राहों का लेखक,
माइलस्टोन पर लिखता हूं।
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जब गालियों में बिखरे मोती,
लिटरेचर क्यूं बरबाद करें।
दौर-ए-जमाना मुफलिस का,
चलो समेटें उनको ही,
अपना संसार आबाद करें।
गुजरा हूं इन राहों से मैं,
अपनी पहचान बनाता हूं।
मैं चलती राहों का लेखक,
माइलस्टोन पर लिखता हूं।
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नहीं हाथ में कलम सुनहरी,
ना चांदी-सा चमचम पेपर,
नहीं साथ में महबूबा प्यारी,
हाथों में है, एक छोटा पत्थर,
कुरेच-कुरेच कर लिखता हूं।
हां, मै चलती राहों का लेखक,
माइलस्टोन पर लिखता हूं।
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न हि, स्वप्न की चमक के लिए मैं,
न हि, स्वप्निल सी उनिंदी आंखें,
न हि, गर्जना की धमक लिए मैं,
शांत सरोवर-सी मेरी बाहें,
प्रेम पत्र को फाड़ चुका मैं,
निश्चल हृदय, तुम्हें बुलाता हूं।
मैं चलती राहों का लेखक,
माइलस्टोन पर लिखता हूं।।
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कठोर धरातल का भोगी मैं,
खादी के बिस्तर त्याग चुका,
किसका लालच दोगे तुम,
कागज के उस टुकड़े पर मैं,
खुद की तस्वीर बनाता हूं,
मैं चलती राहों का लेखक,
माइलस्टोन पर लिखता हूं,
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धधकती ज्वाला का पथ ये,
बिन फायरप्रूफ मैं चलता हूं,
नहीं चंद्र खिलौना है ये,
अब यही बात बतलाता हूं,
शीतल धवल चांदनी-सी ये,
क्या ये आश दिलाता हूं ?
हां, मैं चलती राहों का लेखक,
माइलस्टोन पर लिखता हूं।
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Shailendra S. "Satna"
Kya baat hai Ji
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